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उद्धव ठाकरे बोले चुनाव आयोग के पास नहीं है पार्टी का नाम बदलने का अधिकार, एक बार फिर चर्चा में

उद्धव ठाकरे का बयान :

आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग ने इस साल फरवरी में ‘शिवसेना’ नाम और उसका पार्टी चिह्न ‘धनुष एवं बाण’ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को आवंटित किया था जिस पर उद्धव ठाकरे ने चुप्पी तोड़ी |

महाराष्ट्र राजनीतिक भूचाल :

शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा कि निर्वाचन आयोग किसी पार्टी को कोई चुनाव चिह्न किसी दूसरे को आवंटित कर सकता है, लेकिन उसके पास पार्टी का नाम बदलने का अधिकार बिल्कुल नहीं है| महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के दौरे के समय अमरावती जिले में न्यूज संवाददाताओं से यह भी कहा कि ‘शिवसेना’ नाम उनके दादाजी (केशव ठाकरे) ने दिया था और वह किसी को भी इसे ‘हथियाने’ नहीं देंगे|

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पिछले चुनाव ने शिंदे गुट को दिया था ‘शिवसेना’ नाम और पार्टी चिन्ह

बता दें निर्वाचन आयोग ने इस साल फरवरी में ‘शिवसेना’ नाम और उसका पार्टी चिह्न ‘धनुष एवं बाण’ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत गुट को आवंटित किया था|
निर्वाचन आयोग ने ठाकरे गुट को शिवसेना नाम और ‘मशाल’ चुनाव चिह्न को बनाए रखने की अनुमति भी दी, जो उसे राज्य में विधानसभा उपचुनावों के समाप्त होने तक एक अंतरिम आदेश में दिया गया था|

एकनाथ शिंदे ने पिछले साल की थी ठाकरे से बगावत :

शिंदे ने पिछले साल जुलाई में ठाकरे के खिलाफ बगावत कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन किया था और नई सरकार का गठन किया था| उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा, ‘निर्वाचन आयोग के पास किसी पार्टी का नाम बदलने का अधिकार नहीं है| वह किसी पार्टी को चुनाव चिह्न आवंटित कर सकता है|’ठाकरे ने कहा, ‘शिवसेना नाम मेरे दादा ने दिया था. आयोग नाम कैसे बदल सकता है? मैं किसी को पार्टी का नाम हथियाने नहीं दूंगा|’

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देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत केंद्र सरकार का मुकाबला करने के लिए कुछ विपक्षी दलों के एकजुट होने के प्रयासों संबंधी सवाल पर ठाकरे ने कहा, ‘मैं इसे विपक्षी दलों की एकता नहीं कहूंगा, लेकिन हम सभी देशभक्त हैं और हम लोकतंत्र के लिए ऐसा कर रहे हैं|’ ठाकरे ने कहा कि यह अपने देश से प्रेम करने वाले लोगों की एकता है|

ठाकरे ने यह भी कहा कि देश में (1975-77 में) आपातकाल लागू होने के बाद भी तत्कालीन सरकार ने आम चुनाव में विपक्षी दलों को प्रचार करने की अनुमति दी थी| इससे आगे ठाकरे ने कहा , ‘दुर्गा भागवत, पी एल देशपांडे जैसे साहित्यकारों ने भी प्रचार किया और जनता पार्टी की सरकार बनी| मैं सोचता हूं कि क्या वर्तमान समय में देश में इतनी आजादी है?’

उद्धव ठाकरे की याचिका पर 31 जुलाई को होगी सुनवाई :

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह ‘शिवसेना’ नाम और पार्टी का चिह्न ‘धनुष और बाण’ शिंदे गुट को आवंटित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की याचिका पर 31 जुलाई को सुनवाई करेगा.

ठाकरे ने अपनी याचिका में कहा है कि इस मामले पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है, क्योंकि यह आदेश 11 मई को शीर्ष अदालत की संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले के मद्देनजर पूरी तरह अवैध है|

याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए कहा गया है, ‘इसके अलावा चुनाव निकट हैं और प्रतिवादी संख्या एक (शिंदे) पार्टी के नाम और उसके चिह्न का गैर कानूनी तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं|’

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